कुछ सहर सा कुछ गाँव सा , कुछ धुप सा कुछ छाओं सा...
कुछ आयात सा तोह कुछ आजान सा...कुछ दिया सा कुछ लौ सा
ज़िंदगी देखो ना बिखरी पड़ी है...कुछ किरणों सा, कुछ खुशबू सा...
रास्तों के मोड़ सा, कुछ अनजान सा कुछ मुस्कान सा
कुछ दर्द सा. कुछ प्यार सा ...माँ की गोद सा, साहिल की रेत सा..
लम्हा सा कुछ तोह कुछ तनहा सा..
कुछ सुकून सा कुछ जूनून सा
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ज़िंदगी देखो न बिखरी पड़ी है...कुछ मन्नत सा कुछ जन्नत सा..
कुछ हिम्मत सा कुछ हकीकत सा
कुछ दुआ सा कुछ फ़रियाद सा
कुछ कहानी सा कुछ सुहाना सा
ज़िंदगी तोह बस यही है ....कुछ तेरी है कूछ मेरी है....
कुछ सपना सा कुछ अपना सा...
ज़िंदगी देखो ना बिखरी पड़ी है...कुछ तेरा सा कुछ मेरा सा...!!
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