Tuesday, April 7, 2009

जाने क्या बात है...

जाने क्या बात है...
तू जो मेरे साथ है...
चाहत के आंगन में जैसे पहली मुलाकात है॥
शर्माती निगाहें .....

नटखट सा आँचल...
थिरकते लबों पे...
जैसे खामोश सा हलचल...

किरणों से नहाई यह महकी सी शाम...
लिए जा रही है बस मोहब्बत का नाम...
नम सी पलकों पे भीगी सी उलझन...
कुछ और बात है कुछ और पागलपन....

बदला हुआ सा यह शमा...
बदले बदले से सपने...
बदले हसरतों की गोद में बदली हुई सी यह रात है...

जाने क्या बात है...
तू जो मेरे साथ है...!!

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